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बुरे दिनों के लिए / पंकज चौधरी

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जीवन में
बिन बुलाए
कितनी खुशियां ही खुशियां थीं
सुखों का समंदर था
और आनंद का महाकाश

ऐश्‍वर्य का ब्रह्माण्ड था
और था वैभव का प्रकाश

उल्‍लास की हुलस थी
और थी उत्‍साह की पहल

उमंग के गीत थे
और थी तरंग के संगीत

उम्‍मीदों की ऊर्वरता थी
और था सम्‍मानों का साथ

शुभाशीषों की शुभकामनाएं थीं
और था वीरता का वरदान

काश
उन अच्‍छे दिनों को
मैं सेव करके रख पाता
किसी कम्‍प्‍यूटर में
इन बुरे दिनों के लिए!