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बूँदों का गुलदस्ता / रमेश तैलंग

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चलो आज बारिश का पूरा मज़ा लो ।
ये बूँदों का गुलदस्ता घर में सज़ा लो ।

हँसो, खिलखिलाओ या भीगो, नहाओ
ये मनहूसियत मन से बाहर निकालो ।

बादल से झूमो या बिजली को चूमो
घटाओं का काजल आँखों में डालो ।

ये रिमझिम का मौसम, फुहारों की सरगम,
कहाँ हो अजी साज अपने सँभालो ।

गज़ल, दादरा, कोई ठुमरी या कजरी
जो मन में हो वो आज गा लो, बजा लो ।

अकेले-अकेले न बैठो जी छुप कर
ये मौक़ा मिला है तो मेला लगा लो ।