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बूँद और रिश्ते / शैलजा पाठक

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कल बारिश में भींगते हुए
कितनी ही बूंदों को
मैंने झटक दिया

सब गिर कर टूट गई

आज गालों को हाथ लगाया
कुछ सहमीं सी गर्म बूंदें मिलीं

कैसे कैसे रूप बदल कर चली आती है
बूँद बारिश रिश्ते और ख्याल

टूटते हैं पर हमसे छूटते नहीं...