Last modified on 27 फ़रवरी 2023, at 18:38

बूझो / कल्पना मिश्रा

Firstbot (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:38, 27 फ़रवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कल्पना मिश्रा |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

साथ जन्में थे हम
पर उम्र अलग अलग थी
मैं बढ़ता गया वह घटती गई
तय था एक दिन हमारा मिलना
पर मिलते तो दो में से
एक ही रह पाता
मैं उससे मिलना टालता रहा
ठेलता रहा उस दिन को और आगे
कोशिश करता रहा उसे भूलने की
पर आज उससे मेरा आलिंगन हो ही गया
और मैं समा गया उसमें
मैं खत्म हो गया और वो अमर
बूझा तुमने मैं हूँ कौन
मैं हूँ जीवन और वो है मृत्यु।