भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बेटी जब पंख फैलाती है / सत्यनारायण सोनी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी  
 
|रचनाकार=सत्यनारायण सोनी  
|संग्रह=
+
|संग्रह=कवि होने की ज़िद में / सत्यनारायण सोनी
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
पंक्ति 12: पंक्ति 12:
 
फ़ख्र का  
 
फ़ख्र का  
 
पार नहीं रहता ।
 
पार नहीं रहता ।
 +
 
और बेटी  
 
और बेटी  
 
जब पंख फैलाती है
 
जब पंख फैलाती है

01:03, 22 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

 
जवान होता बेटा
जब उडारी भरने लगता है
दूर-दूर तक
तो माँ-बाप के
फ़ख्र का
पार नहीं रहता ।

और बेटी
जब पंख फैलाती है
तो माँ-बाप के
फ़िक्र का
पार नहीं रहता ।