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बैंगन और टिमाटर / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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एक टोकरी में रखे थे बैंगन और टिमाटर
खटपट होने लगी अचानक बोल उठे हंस हंस कर
पहले पका टिमाटर बोला रे बैंगन तू है काला
मुझे देख मैं सुन्दर कितना लाल लाल कैसा आला
बोला बैंगन ये रे टिम्मू बढ़ चढ़कर मत बात बना
तुझको पता नहीं तो सुन ले, प्रभु ने राजा दिया बना
मेरे सिर पर ताज सुहाना मैं भी चिकना काला हूँ
कृष्ण कन्हैया जैसा लगता उन जैसा गुण वाला हूँ
टिम्मू बोला झूठ बोलता तू थाली का बैंगन है
तुनक रहा है बिना बात ही तू कपटी मैला तन है
बैंगन बोला तू है नाजुक लाल लाल बस दिखता है
कुश्ती मुझ से लड़ तो जानु रौब दिखाया करता है
धक्का एक लगाऊँ तो तू पिचक पिचक रह जायेगा
रो रो कर फिर घर भर देना बिखर बिखर फिंक जायेगा
कहा टिमाटर ने ये बैंगन तेरा तो भुरता बनता
कूट पीट कर भैया मेरे तुझे भुनना पड़ता
मैं तो सब्जी फल दोनों हूँ कच्चा भी खाया जाता
सज जाता सलाद में तब तो स्वाद बहुत सबको आता