बैठी अटा पर, औध बिसूरत पाये सँदेस न 'श्रीपति पी के।
देखत छाती फटै निपटै, उछटै जब बिज्जु छटा छबि नीके॥
कोकिल कूकैं, लगै मन लूकैं, उठैं हिय कैं, बियोगिनि ती के।
बारि के बाहक, देह के दाहक, आये बलाहक गाहक जी के॥
बैठी अटा पर, औध बिसूरत पाये सँदेस न 'श्रीपति पी के।
देखत छाती फटै निपटै, उछटै जब बिज्जु छटा छबि नीके॥
कोकिल कूकैं, लगै मन लूकैं, उठैं हिय कैं, बियोगिनि ती के।
बारि के बाहक, देह के दाहक, आये बलाहक गाहक जी के॥