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बैठ लें कुछ देर आओ / शिव बहादुर सिंह भदौरिया

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बैठ लें
कुछ देर, आओ
झील तट पत्थर-शिला पर

लहर कितना तोड़ती है
लहर कितना जोड़ती है

देख लें
कुछ देर, आओ
पाँव पानी में हिलाकर

मौन कितना तोड़ता है
मौन कितना जोड़ता है

तौल लें
औकात अपनी
दृष्टियों को फिर मिलाकर