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बै सम्भल्या नीं करैं / रूपसिंह राजपुरी

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रिसतां गी सड़क पर,
शर्त गा पहिया, चल्यां नी करैं।
दोस्ती गे पेट मैं,
लालच गा टाबर पल्यां नीं करैं।
पग तिसल्यो तो,
उठ'र फेरूं चाल लेस्यां।
जकांगी नीत तिसली,
बै सम्भल्या नीं करैं।