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बै घणा कारसाज है
 
म्हारै मूण्डा ऊपर छींका लगा’र
 
म्हारै मूण्डा ऊपर छींका लगा’र
 
गुदारै अरज
 
गुदारै अरज

09:47, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

बै घणा कारसाज है
म्हारै मूण्डा ऊपर छींका लगा’र
गुदारै अरज
‘आप बोलो सा!
बोलण ऊपर कोई पाबंदी नीं है।’

बै घणा चालू पड़ै
म्हारै हाथां माय थमा देवै
पाटी अर बरता
अनै बारखड़ी हाळौ कायदो लुको’र
कैवै-
‘आप आखर तो मांडौ
कायदा बी छप जासी।’

बै घणा स्याण-समझणा है
आठ करोड़ जीभां नै अडाणै राख’र
खरीदै आपरी कुरस्यां
अनै धमका’र कैवै-
“कांई करोला बोल’र
म्हे बोलां हां नी।
आगै ई ध्वनी-प्रदूषण घणो है।”