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बोधिसत्व

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/* कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ */
{{KKGlobal}}{{KKParichay|चित्र=Boddhisattav.jpg|नाम=बोधिसत्व|उपनाम=|जन्म: =11 दिसंबर दिसम्बर 1968 मूल नाम --अखिलेश कुमार मिश्र जन्म स्थान |जन्मस्थान=गाँव भिखारीरामपुर, भदोही के गाँव भिखारी राम पुर,उत्तर प्रदेश (, भारत) |कृतियाँ - =सिर्फ कवि नहीं(1991); हम जो नदियों का संगम हैं(2000) ; [[दुख तंत्र/ बोधिसत्व | दुख तंत्र]] (2004)सभी कविता , ख़त्म नहीं होती बात (2010), गुरु महिमा पर लगभग 400 श्लोकों का संग्रह“गुरवै नम:” (2002), रचना समय का “शमशेर अंक” (2012)चौथा कविता संग्रह हाल-चाल प्रकाशनाधीन |विविध = भारतभूषण अग्रवाल सम्मान (1999); संस्कृति सम्मान(2000); गिरिजा कुमार माथुर सम्मान(2000)हेमंत ; हेमन्त स्मृति सम्मान(2001), फिराक सम्मान ( 2013) शमशेर सम्मान ( 2015), महारथी कर्ण (2002), 1857 क्रान्ति (2003), आम्रपाली(2002), जोधा अकबर(2013-14), देवों के देव महादेव (2011-14) महाबली हनुमान (2015-16) समेत अनेक टीवी धारावाहिकों और शिखर (2005) और धर्म (2006) जैसी फ़िल्मों का लेखन। 2001 से मुम्बई में। |अंग्रेज़ीनाम=Bodhisatva|जीवनी=[[बोधिसत्व / परिचय]]|shorturl=bodhisatva}}{{KKCatUttarPradesh}}====कविता संग्रह====* '''[[सिर्फ कवि नहीं / बोधिसत्व]]''' (1991)* '''[[हम जो नदियों का संगम हैं / बोधिसत्व]]''' (2000)* '''[[दुख तंत्र / बोधिसत्व]]''' (2004)* '''[[ख़त्म नहीं होती बात / बोधिसत्व]]''' (2010)====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====* [[सुख सूचक शिलालेख ! / बोधिसत्व]]* [[कुछ भी मारो, बस, आँख मत मारो / बोधिसत्व]]* [[अच्छे दिन देखना है, साहेब ! बताओ किधर देखूँ? / बोधिसत्व]]* [[अब / बोधिसत्व]]* [[डरो ऐसे समय में ! / बोधिसत्व]]* [[यह एक कील मुबारक हो ! / बोधिसत्व]]* [[गोडसे हिन्दू नहीं सनातन हत्यारा है / बोधिसत्व]]* [[कच्चे चाँद को देखा है / बोधिसत्व]]* [[न्यूट्रल आदमी / बोधिसत्व]]* [[छुपम छुपाई / बोधिसत्व]]* [[छूना ही पाना है / बोधिसत्व]]* [[बताओगे क्या? / बोधिसत्व]]* [[मैं और तू / बोधिसत्व]]* [[बुलडोजर / बोधिसत्व]]* [[अब जबकि जान गया हूँ / बोधिसत्व]]* [[मैं उजाले की प्रतीक्षा करूँगा / बोधिसत्व]]* [[जीवन की महक हो तुम / बोधिसत्व]]* [[मैं तुम्हारे लिए ऐसा / बोधिसत्व]]* [[कैसे बनूँ? / बोधिसत्व]]* [[गिराना मिटाना / बोधिसत्व]]* [[सोचो सोचो सोचो सोचो / बोधिसत्व]]* [[हरे राम हरे राम, राम-राम हरे-हरे / बोधिसत्व]]* [[इलाहाबाद में निराला / बोधिसत्व]]* [[आएगा वह दिन / बोधिसत्व]]* [[बो दूँ कविता / बोधिसत्व]]* [[उनकी पराजय का घोषणा पत्र होगा फिलीस्तीन / बोधिसत्व]]* [[तुम हो / बोधिसत्व]]* [[पागलदास/ बोधिसत्व]]* [[चाहता हूँ / बोधिसत्व]]* [[छोटा आदमी / बोधिसत्व]]* [[हाल-चाल / बोधिसत्व]]* [[कोई चिह्न नहीं है / बोधिसत्व]]* [[तमाशा / बोधिसत्व]]* [[ले लो तिरंगा प्यारा / बोधिसत्व]]* [[घुमंता-फिरंता / बोधिसत्व]]* [[टैगोर और अंधी औरतें / बोधिसत्व]]* [[हार गए पिता / बोधिसत्व]]* [[गाँव की बात / बोधिसत्व]]* [[त्रिलोचन / बोधिसत्व]]* [[माँ का नाच / बोधिसत्व]]* [[फूल, पंछी और आदमी / बोधिसत्व]]* [[खोज / बोधिसत्व]]* [[जोगी / बोधिसत्व]]* [[तुम्हारे कहने से / बोधिसत्व]]* [[दीदी / बोधिसत्व]]* [[स्त्री को देखना / बोधिसत्व]]* [[निषिद्ध / बोधिसत्व]]* [[चिह्न बचे होंगे क्या / बोधिसत्व]]* [[सिकंदर / बोधिसत्व]]* [[यहां हूं / बोधिसत्व]]* [[तुम्हारे कहने से / बोधिसत्व]]* [[क्या इसीलिए जन्मा राम के अवध में / बोधिसत्व]]* [[दिल्ली / बोधिसत्व]]* [[शान्ता / बोधिसत्व]]* [[हम दोनों / बोधिसत्व]]* [[कोहली स्टूडियो / बोधिसत्व]]* [[बताना कभी / बोधिसत्व]]* [[छोटा आदमी / बोधिसत्व]]* [[कमज़ोर कविता / बोधिसत्व]]* [[हम और तुम-1 / बोधिसत्व]]* [[हम और तुम-2 / बोधिसत्व]]* [[हम और तुम-3 / बोधिसत्व]]* [[हम और तुम-4 / बोधिसत्व]]* [[हम और तुम-5 / बोधिसत्व]]* [[हम और तुम-6 / बोधिसत्व]]* [[मैं कोई उपदेशक तो हूँ नहीं / बोधिसत्व]]
 '''चाहता हूँ'''  बड़ी अजीब बात हैजहाँ नहीं होतामैं वहीं सब ====कुछ पाना चाहता हूँ, वहीं पाना चाहता हूँमैं अपने सवालों का जवाबजहाँ लोग वर्षों से चुप हैं चुप हैं किउन्हें बोलने नहीं दिया गयाचुप हैं किक्या होगा बोल करचुप हैं किवे चुप्पीवादी हैं, मैं उन्हीं आँखों मेंअपने को खोजता हूँजिनमें कोई भी आकृतिनहीं उभरती मैं उन्हीं आवाजों मेंचाहता हूँ अपना नामजिनमें नहीं रखता मायनेनामों का होना न होना, मैं उन्ही का साथ चाहता हूँजो भूल जाते हैंमिलने के ठीक बादकि कभी मिले थे किसी से। बड़ी अजीब बात हैजहाँ नहीं होतामैं वहीं सब कुछ पाना चाहता हूँ,   '''बो दूँ कविता''' मैं चाहता हूँकि तुम मुझे ले लोअपने भीतरमैं ठंडा हो जाऊँऔर तुम्हें दे दूँअपनी सारी ऊर्जा तुम मुजे कुछदो या न दोयुद्ध का आभास दोअपने नाखूनअपने दाँतधँसा दो मुझमेंछोड़ दोअपनी साँस मेरे भीतर, तुम मुझे तापोतुम मुझे छुओ,इतनी छूट दो कितुम्हारे बालों मेंअँगुलियाँ फेर सकूँतोड़ सकूँ तुम्हारी अँगुलियाँनाप सकूँ तुम्हारी पीठ, तुम मुझेकुछ पल कुछ दिन की मुहलत दोमैं तुम्हारे खेतों मेंबो दूँ कविताऔर खो जाऊँतुम्हारे जंगल में।  '''आएगा वह दिन''' आएगा वह दिन भीजब हम एक ही चूल्हे सेआग तापेंगे। आएगा वह दिन भीजब मेरा बुखार उतरता-चढ़ता रहेगाऔर तुम छटपटाती रहोगी रात भर। अभी यह पृथ्वीहमारी तरह युवा हैअभी यह सूर्य महज तेईस-चौबीस साल का हैहमारी ही तरह, इकतीस दिसंबर की गुनगुनी धूप की तरहदेर-सबेरे आएगा वह दिन भीजब किलकारियों से भराअवधी रचनाएँ====हमारा घर होगा कहीं।* [[दिल्ली / बोधिसत्व]]
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