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बोलोॅ भैया रामे राम हो माय / अंगिका

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बोलोॅ भैया रामे राम हो माय
कोशी सन बेदरदी जग में कोय नय ।
चीन देश में नदी ह्वांगहो
चीनक शोक कहाय ।
भारत के उत्तर बिहार में
निष्ठुर कोशी माय ।।
बोलोॅ भैया....
जहँ उपजै छल कनकजीर
अरू नाजिर पलिया धान ।
ताहि ठाम के नारीनर के
अल्हुआ राखै प्राण ।।
बोलोॅ भैया.......
जतय चलै छल मोटर गाड़ी
पानी ततय अथाह ।
बासडीह के कुण्ड बनौलक
बांसो न लैअछि थाह ।।
बोलोॅ भैया........
धन दौलत सब कुछ हरलक ई
किछु नहि छोड़लक शेष ।
मलेरिया काला बुखार पिलही देलक सन्देश ।।
बोल ोॅ भैया..........
कतह से आनव दवा
कुनायन दूध गाय के, धान ।
कतह से आनव साबूदाना
कोना के बाँचत प्राण ।।
बोलोॅ भैया.......
धैरज राखह मंगरू भैया
मन नहि करक मलान ।
समय पाय तरूवर फरैत अछि
जानत सकल जहान ।।
कोशी बाँधक हित तत्पर छथि
वृद्ध युवक ओ बाल ।
भारत के सेवक समाज
श्रमदानी दल बेहाल ।।
उपद्रवी दुष्टा कोशी के
भेटतय खूब सजाय ।
बाँधि के मुसुक बाँध सब
क्यों मिलि जेल में देत ढुकाय ।।
जहिना नन्दन स्वर्ग लोक में
रखइछ अनुपम वेश ।
ताहू से बढ़ि चढ़ि के हेतौ
तोहर मिथिला देश ।।
बोलोॅ भैया .......