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बोल तोता, बोल / रामदेव सिंह 'कलाधर'

हरे रंग का एक-एक ‘पर’,
लाल चोंच है कितनी सुंदर,
लाल फूल की माला दी है-
किसने तुझे अमोल?
बोल तोता!बोल।

कौन कला का शिक्षक तेरा,
जिसने रंग गले पर फेरा,
किस विद्यालय में तू पढ़ता?
मौन न रह मुँह खोल।
बोल तोता! बोल।

साथी मुझे बनाना आता,
‘सीता-राम’ पढ़ाना आता,
और किसी से प्रेम करेगा?
यह दुनिया है गोल।
बोल तोता! बोल।

मुझको भी उड़ना सिखला दे,
पके ‘कलाधर’ सुफल खिला दे,
दिया करूँगा मैं भी क्षण-क्षण,
कानों में मधु घोल।
बोल तोता! बोल।