http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B2_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE,_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0_%E0%A4%85%E0%A4%9F%E0%A5%82%E0%A4%9F%E0%A5%87_/_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%9A%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80&feed=atom&action=historyबोल राजा, स्वर अटूटे / माखनलाल चतुर्वेदी - अवतरण इतिहास2024-03-29T05:38:53Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%B2_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE,_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0_%E0%A4%85%E0%A4%9F%E0%A5%82%E0%A4%9F%E0%A5%87_/_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%96%E0%A4%A8%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2_%E0%A4%9A%E0%A4%A4%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80&diff=57134&oldid=prevDkspoet: नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी |संग्रह=हिम तरंगिनी / माखनला...2009-10-06T14:17:29Z<p>नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी |संग्रह=हिम तरंगिनी / माखनला...</p>
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|रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी <br />
|संग्रह=हिम तरंगिनी / माखनलाल चतुर्वेदी<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
बोल राजा, स्वर अटूटे <br />
मौन का अब बाँध टूटे<br />
<br />
जी से दूर मान बैठी थी<br />
जी से कैसे दूर? बता दो?<br />
ऐ मेरे बनवासी राजा!<br />
दूरी बनी कुसूर? बता दो?<br />
उठ कि भू पर चाँद टूटे<br />
बोल राजा, स्वर अटूटे <br />
मौन का अब बाँध टूटे!<br />
<br />
उस दिन जिस दिन तुम हँस-<br />
उट्ठे, मैंने पुनर्जन्म को पाया,<br />
फिर मेरे जी में तुम जनमे<br />
मैं फिर नीला-सा हो आया,<br />
अब वियोगिन साँझ टूटे,<br />
बोल राजा, स्वर अटूटे, <br />
मौन का अब बाँध टूटे!<br />
<br />
जीवन के इस बगीचे में<br />
सुमन खिले, फल भी तो झूले,<br />
पर मैंने सब फेंक दिये<br />
वे फले-फूले, वे फले-फूले!<br />
प्राण तू मुझसे न छूटे,<br />
बोल राजा, स्वर अटूटे, <br />
मौन का अब बाँध टूटे!<br />
<br />
मेरे मानस में संकट के-<br />
कुंज शीश ऊँचा कर आये,<br />
तुतलाने का वचन दिये<br />
मेरी गोदी में तुम भर आये,<br />
बोल अपने कर न झूठे,<br />
बोल राजा, स्वर अटूटे <br />
मौन का अब बाँध टूटे!<br />
<br />
जी की माला पर लिख दूँ मैं<br />
कैसे तेरा देश निकाला?<br />
मेरी हर धक-धक खिल उट्ठी<br />
फिर क्यूँ चुनूँ फूल की माला?<br />
सुमन के छाले न फूटे,<br />
बोल राजा, स्वर अटूटे<br />
मौन का अब बाँध टूटे!<br />
<br />
जब कि मौन से भी ध्वनि झरती<br />
तब ध्वनि की ध्वनि रोक न राजा<br />
चल कि प्रलय भाँवरिया खेलें!<br />
प्राणों के आँगन में आजा;<br />
आज मैं बन लूँ बधूटी<br />
’बाँध-गाँठ’ कि गाँठ छूटी!<br />
काढ़ जी पर बेल-बूटे<br />
बोल राजा, स्वर अटूटे<br />
मौन का अब बाँध टूटे!<br />
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