भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बौआ के छियनि कोजगरा हे / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:52, 2 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मैथिली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= बिय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बौआ के छियनि कोजगरा हे
पूर्णिमा के राति
कथी के जूत्ता कथी के छत्ता
कोने खराम चढ़ि चलता हे
पूर्णिमा के राति
सोने के जुत्ता रूपे के छत्ता
झनुकी खराम चढ़ि चलता हे
पूर्णिमा के राति
कथि के थारी, कथी के कौड़ी
किनका संग खेलता पचीसी हे
पूर्णिमा के राति
सोने के थारी, चानी के कौड़ी
भौजी संग खेलता पचीसी हे
पूर्णिमा के राति