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भँवर में डूबियो के आदमी उबर जाला / मनोज भावुक

भँवर में डूबियो के आदमी उबर जाला
मरे के बा तऽ ऊ दरिया किनारे मर जाला

पता ई बा कि महल ना टिके कबो अइसन
तबो त रेत प बुनियाद लोग धर जाला

जमीर चीख के सौ बार रोके-टोकेला
तबो त मन ई बेहया गुनाह कर जाला

बहुत बा लोग जे मरलो के बाद जीयत बा
बहुत बा लोग जे जियते में, यार, मर जाला

अगर जो दिल में लगन, चाह आ भरोसा बा
कसम से चाँद भी अँगना में तब उतर जाला