Last modified on 23 जुलाई 2019, at 15:28

भगवती वंदना / मनोज झा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:28, 23 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जग जननी माँ भाव की भूखी
मेरे भाव का पान करो।
दर्शन दो संताप हरो माँ
अटल भक्ति का दान करो।
जग जननी माँ...॥
भोग वस्तु मैं दे नहीं पाता,
कारण की पहचान करो।
बड़े भक्त जय-यश पाते हैं-
मुझ छोटे का भी ध्यान धरो॥
जग जननी माँ ...॥
कितनी बार मैं माँ कहता हूँ
बेटा तू एक बार कहो,
जीवन सुफल बना दे हे मैया!
स्वर मेरा स्वीकार करो॥
जग जननी माँ ...॥