Last modified on 27 अप्रैल 2024, at 15:43

भग्न अवशेष / उदय नारायण सिंह 'नचिकेता'

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 27 अप्रैल 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदय नारायण सिंह 'नचिकेता' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

घासक ऊपर तुहिन-बिन्दु माथ उठोने ठाढ़ अछि।
मानू माटि कानि रहल हो,
अथवा भार- वहनक क्लेद श्रम-सीकरवत् व्यक्त भेल हो।

सूर्य उगल,
तुहिन सुखा गेल,
परंच लागलहि रहल मनुष्यक पैर मे।