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"भजन-कीर्तन: कृष्ण / 18 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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वर्षा-ऋतु में विरहिणी की स्थिति का वर्णन किया गया है।
 
वर्षा-ऋतु में विरहिणी की स्थिति का वर्णन किया गया है।
  
सखिया सावन बहुत सुहावन ना, मनभावन अइलन मोर।
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सखिया सावन बहुत सुहावन, ना मनभावन अइलन मोर।
 
एक त पावस खास अमावस, काली घाटा चहुँओर॥ सखिया॥
 
एक त पावस खास अमावस, काली घाटा चहुँओर॥ सखिया॥
पानी बरसत जिअरा तरसत, दांदुर मचावन सोर॥ सखिया॥
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पानी बरसत जिअरा तरसत, दादुर मचावन सोर॥ सखिया॥
ठनका ठनकत झिंगुर झनकतचमकत बिजली ताबरतोर॥ सखिया॥
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ठनका ठनकत झिंगुर झनकत, चमकत बिजली ताबरतोर॥ सखिया॥
कहत ‘भिखारी’ बिहारी पिअरी से होई गइलन चित्तचोर॥ सखिया॥
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कहत ‘भिखारी’ बिहारी पिअरी से, होई गइलन चित्तचोर॥ सखिया॥
 
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21:38, 30 जुलाई 2021 के समय का अवतरण

प्रसंग:

वर्षा-ऋतु में विरहिणी की स्थिति का वर्णन किया गया है।

सखिया सावन बहुत सुहावन, ना मनभावन अइलन मोर।
एक त पावस खास अमावस, काली घाटा चहुँओर॥ सखिया॥
पानी बरसत जिअरा तरसत, दादुर मचावन सोर॥ सखिया॥
ठनका ठनकत झिंगुर झनकत, चमकत बिजली ताबरतोर॥ सखिया॥
कहत ‘भिखारी’ बिहारी पिअरी से, होई गइलन चित्तचोर॥ सखिया॥