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भजन (तीन) / महमूद दरवेश / विनोद दास

जिस दिन मेरी कविताएँ
मिट्टी से बनी थी
मैं अनाज का दोस्त था

जब मेरी कविताएँ
शहद हो गईं
मक्खियाँ मेरे होठों पर
बैठने लगीं

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास