भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भजु मन नंदनंदन गिरिधारी / / प्रतापबाला

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:51, 28 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रतापबाला |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatP...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भजु मन नंदनंदन गिरिधारी।
सुख-सागर करुणा को आगर भक्तवछल बनवारी॥
मीरा करमा कुबरी सबरी तारी गौतमनारी।
वेद पुरानन में जस गायो ध्याये होवत प्यारी॥
जामसुता को स्याम चतुरभुज लेजा ख़बरि हमारी॥