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भरोसा रही एक अंजनी कुँवर के / महेन्द्र मिश्र

भरोसा रही एक अंजनी कुँवर के।
महावीर रणधीर जगत में भक्त सिरोमणि सियावर के।
मनवांछित फल देत सभी को रक्षा करते कदाधर के।
सेवत सुलभ सुखद सबही को देखत शत्रु भुजा फरके।
द्विज महेन्द्र छवि ध्यान धरूँ मैं मुख में जो लीन्हों दिवाकर के।