Last modified on 3 नवम्बर 2008, at 20:34

भरोसा / प्रकाश

अंधेरे घने सन्नाटे में
डरकर मैंने उसे पुकारा
रात के क्षितिज से
किसी का कोई
उत्तर न आया

मैंने शक किया-
वह नहीं है
अगले ही क्षण सिहरा
बुदबुदाया- वह है

है- और कहीं से एक चिड़िया
बोल उठी।