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भरोसा / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

ये जी!
तहूं करी न लेॅ अंगिका सेॅ पी.जी.।

लोगऽ केॅ देखै छीयै-
भौरे-भोर लहाय कं,
माथऽ मेॅ तेल बहाय केॅ,
फूलपैन्ट झाड़ी केॅ,
बालऽ मेॅ कंधी मारी केॅ,
हरदम रहै छै बीजी।
ये जी!
तहूं करी न लेॅ अंगिका सेॅ पी.जी.।

सुनै छीयै-होतै भारी बहाली,
सुखलऽ ठोरऽ पेॅ, अैतै फेरू लाली,
गल्ला मेॅ हार लबऽ, कानऽ मेॅ बाली,
साड़ी सेॅ भरी लेबऽ, बक्सा छै खाली,
फेरू एगऽ कार लेबऽ, लिखी देबै निजी।
ये जी!
तहूं करी न लेॅ अंगिका सेॅ पी.जी.।