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भला अभी भी हुआ नहीं है / रंजना वर्मा

भला अभी भी हुआ नहीं है।
ख़ुदा का दर भी खुला नहीं है॥

सुला लिया है तुम्हें नयन में
है इश्क़ कोई सज़ा नहीं है॥

चलो चलें हम भी उस डगर पर
कि जिस पर कोई चला नहीं है॥

बहुत अँधेरा है आज हरसूं
कहीं भी दीपक जला नहीं है॥

किया हमेशा है माँ को सजदा
कहीं भी सर ये झुका नहीं है॥