भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भव्य दृश्य / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:23, 12 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊपर गहन नीलाकाश का तारों-जड़ा-
जरी का कामदार चँदोआ;
उदयाचल और अस्ताचल के रंग-बिरंगे विंग्ज़,
शरद्, वसन्त और वर्षा की विभूतियों के-
पर्दे और सीन-सिनेरियाँ;
पाँव के लिए मखमली हरियालियों के गुदगुदे गहरे क़ालीन;
नदियों चुलबुले पंछियों का-
कुलबुल्, कुलबुल्
नेपथ्य, पार्श्व और पृष्ठभूमि संगीत;
सूर्य और चाँद की जगर-मगर रोशनी!

अहा, कैसी भड़कीली ओर नयनाभिराम है यह स्टेज-
मनोहर और रोमांचक घटना-
मनुष्य द्वारा मनुष्य की हत्या और रक्तपात के लिए!