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भव्य दृश्य / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

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ऊपर गहन नीलाकाश का तारों-जड़ा-
जरी का कामदार चँदोआ;
उदयाचल और अस्ताचल के रंग-बिरंगे विंग्ज़,
शरद्, वसन्त और वर्षा की विभूतियों के-
पर्दे और सीन-सिनेरियाँ;
पाँव के लिए मखमली हरियालियों के गुदगुदे गहरे क़ालीन;
नदियों चुलबुले पंछियों का-
कुलबुल्, कुलबुल्
नेपथ्य, पार्श्व और पृष्ठभूमि संगीत;
सूर्य और चाँद की जगर-मगर रोशनी!

अहा, कैसी भड़कीली ओर नयनाभिराम है यह स्टेज-
मनोहर और रोमांचक घटना-
मनुष्य द्वारा मनुष्य की हत्या और रक्तपात के लिए!