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भारत देश महान / रूप रूप प्रतिरूप / सुमन सूरो

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भारत देश महान!
हमरोॅ भारत देश महान!
जे देशोॅ में गंगा-जमुना-सरस्वती छै एक,
जे देशोॅ में एक विभू छै धरने रूप अनेक,
रूपोॅ-रूपोॅ प्रतिरूपोॅ में छै जेकरोॅ पहचान!
हमरोॅ भारत देश महान!

वन-वन बिचरै राम, गाँव में बिचरै बुद्ध कबीर,
सब के हिरदय में बिचरै छै तुलसी-नानक-मीर,
जे देशोॅ में कछुआ-सूअर बनलोॅ छै अवतार,
जे देशे ने रोज गढ़ै छै माँटी के भगवान!
हमरोॅ भारत देश महान!

जे देशोॅ के माँटी में अकबर ने लेलकै जन्म,
धरम इमानोॅ के खातिर सबसें ऊँचोॅ सतकर्म,
ईश्वर-अल्ला एक करलकै देलकै अजगुत सीख,
‘दीन इलाही’ में जोगलकै इन्सानोॅ के मान!
हमरोॅ भारत देश महान!

जे देशोॅ के मुकुट हिमालय चरण पखारै सागर,
जहाँ भांगड़ाँ छलकाबै छै हिया-हिया के गागर,
जे धरती पर ऐलै गुरुगोविन्द सिंह-नानक जी,
गुरुग्रन्थोॅ में जहाँ बरसलै प्रेमदया-सम्मान!
हमरोॅ भारत देश महान!

दया-धन्यता-कृतज्ञता के जे देशोॅ में सोत,
जे देशोॅ में उगलै पैहने उपकारोॅ के जोत,
जहाँ ठुमकलै मानवता पाँ-पाँ-पाँ चालोॅ सें,
जे देशोॅ सें ईशूँ लेलकै अच्छाई के ज्ञान!
हमरोॅ भारत देश महान!

मंदिर-मस्जिद गुरुद्वारा गिरजा सब एक समान,
सबमें बास करै छै भैया एक्के विभू महान,
सब में छै संदेश प्रेम के भैयारी के बात,
यै देशोॅ में सबसें ऊँचोॅ आसन पर इन्सान!
हमरोॅ भारत देश महान!

जे देशों पंजाब, उड़ीसा, सिक्किम, असम, बिहार,
त्रिपुरा, नागालैन्ड, केरला, बंङला, मध्य पठार,
जे देशों कश्मिर स्वर्ग के धरती पर उजियाली,
विन्ध्य-हिमाचल-मन्द्राचल के भरलोॅ छै गुणगान!
हमरोॅ भारत देश महान!

जहाँ मलय के हवा हिमालय तक दौड़ै पसरै छै;
अमृत रं हिमगिरि के पानी कन्या तक सँसरै छै;
आगिन माँटी के सुगन्ध सें मँह-मँह छै आकाश;
सभैं मिली केॅ जीव-जीव में बाँटै एक्के प्राण!
हमरोॅ भारत देश महान!