भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भारत धारत धीर धीर का धीरज छूटे / शिवदीन राम जोशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदीन राम जोशी }} <poem> भारत धारत धीर ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
देश भक्त बलवान डरें क्यों चौडे लूटे।
 
देश भक्त बलवान डरें क्यों चौडे लूटे।
 
खद्दर चद्दर ओढ यही है बख्तर रण का,
 
खद्दर चद्दर ओढ यही है बख्तर रण का,
धन्य शिरोमण्ी देश हो गया अग कण-कण का।
+
धन्य शिरोमणी देश हो गया अग कण-कण का।
 
दिन में अरु दोपहर में लूटे आधी रात,
 
दिन में अरु दोपहर में लूटे आधी रात,
 
कौन सुने शिवदीन अब दुःखी जनों की बात।
 
कौन सुने शिवदीन अब दुःखी जनों की बात।
 
राम गुण गायरे।
 
राम गुण गायरे।
 
</poem>
 
</poem>

23:18, 20 जनवरी 2012 के समय का अवतरण

भारत धारत धीर धीर का धीरज छूटे,
देश भक्त बलवान डरें क्यों चौडे लूटे।
खद्दर चद्दर ओढ यही है बख्तर रण का,
धन्य शिरोमणी देश हो गया अग कण-कण का।
दिन में अरु दोपहर में लूटे आधी रात,
कौन सुने शिवदीन अब दुःखी जनों की बात।
राम गुण गायरे।