Last modified on 16 दिसम्बर 2016, at 01:32

भारत / राहुल शिवाय

भारत जगत में तो सभ्यता की लालिमा है,
ज्ञान का जगत में ये प्रथम विहान है l
जगत कुटुंब को ये मान देने वाल सदा,
धरम ध्वजा के संग सत्य का प्रयाण है l
भिन्न-भिन्न भव संस्कृतियों का मेल है ये,
जन-जन समता का प्रबल प्रमाण है l
शांति,सत,धर्म,ज्ञान,प्रेम-प्रीति और त्राण,
विश्व को जगत गुरु का ये अवदान है।

नर्मदा, कृष्णा, त्रिवेणी, कावेरी, गोदावरी है,
सात नदियों के जैसा ईश वरदान है l
विंध्याचल, हिमगिरि, अरावली, नीलगिरि,
मुकट के जैसा जहां पर्वतों का मान है l
बुद्ध, महावीर, कृष्ण, नानक, गोविन्द सिंह,
और पुत्र जहाँ पर राम के समान है l
सत्य व अहिंसा की है भूमि ये पवित्र मेरी,
जिसका रज-रज धर्म-कर्म का प्रमाण है।

जाति, धर्म,भाषा प्रांत की जहाँ विविधता है,
जहाँ जन-जन पर एक ही समान है l
मंदिर की घंटियों के संग गुरुवाणियां हैं,
बौद्ध,जैन प्रार्थनायें संग में अजान है l
कथक,ओडिसी,बिहु,कुचिपुडि, कथकली,
गरवा व भंगडा है, मंजिरी का गान है l
भारत अनेकता में एकता का रूप है वो,
जहाँ एक भूमि और एक ही वितान है।