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भालू / श्रीनाथ सिंह

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ओहो! आया भालू काला।
लम्बे लम्बे बालों वाला।
जुटे मुहल्ले भर के लड़के।
भय है मेरी भैंस न भड़के।
लिये मदारी था जो झोला।
उसे भूमि पर धर के बोला -
अपना नाच दिखा दे भालू!
पाएगा तू रोटी आलू।
गाया उसने -आ-या-या-या।
भालू को डंडा दिखलाया
और बजाया डमरू डम डम।
लगा नाचने भालू छम छम।
नाचो भाई यैसे! यैसे!
कह कर लगा मांगने पैसे।
भालू ने भी खूब हिलाया।
अपनी बालों वाली काया।
पाई पैसे बरसे खन खन।
उन्हें जेब में रख कर फौरन।
हँसता आगे बढ़ा मदारी।
भीड़ लिये लड़को की भारी।
हैं जो अध्यापक चिल्लाते -
आह! न लड़के पढ़ने आते।
वे भी भालू अगर नचावें।
तो न मदरसा सूना पावें।