Last modified on 12 नवम्बर 2013, at 13:32

भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए / हम्माद नियाज़ी

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 12 नवम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हम्माद नियाज़ी }} {{KKCatGhazal}} <poem> भुला दि...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए
मुतालया मिरी वहशत का लाज़मी किया जाए

हम ऐसे लोग जो आइंदा ओ गुज़िश्ता हैं
हमारे अदह को मौजूद से तही किया जाए

ख़बर मिली है उस ख़ुश-ख़बर की आमद है
सो एहतिमाम-ए-सुख़न आज मुल्तवी किया जाए

हमें अब अपने नए रास्ते बनाने हैं
जो काम कल हमें करना है वो अभी किया जाए

नहीं बईद ये अहकाम-ए-ताज़ा जारी हों
कि गुम्बदों से परिंदों को अजनबी किया जाए

बस एक लम्हा तिरे वस्ल का मयस्सर हो
और उस विसाल कि लम्हे को दाइमी किया जाए