भूख मरत ईमान गली मा मांगत भीख खड़े हे । बीच शहर बइमान सेठ के भारी महल अड़े हे । जनता के पइसा मा भइया नेतामन मजा उड़ावैं । अफसर पंखा तरी बइठ के दिन भर जीव जुड़ावै ।