भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भूख मरत ईमान गली मा / कुंज बिहारी लाल चौबे
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:13, 8 जुलाई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंज बिहारी लाल चौबे |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)
भूख मरत ईमान गली मा मांगत भीख खड़े हे ।
बीच शहर बइमान सेठ के भारी महल अड़े हे ।
जनता के पइसा मा भइया नेतामन मजा उड़ावैं ।
अफसर पंखा तरी बइठ के दिन भर जीव जुड़ावै ।