भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूदृश्य-4 / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा

Kavita Kosh से
Jangveer Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:20, 24 जनवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधु शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नीले पर नीले की
छाया है
धूसर को जाता श्याम
सलेटी काले पर,
पावें हैं आसमान की ठहरी
समय के बीच बँधी

धीरे-धीरे जल बहता है।