भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भूले स्वाद बेर के / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: नागार्जुन Category:कविताएँ Category:नागार्जुन ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ सीता हुई ...)
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[नागार्जुन]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:नागार्जुन]]
+
|रचनाकार=नागार्जुन  
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
  
 
सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा
 
सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा

22:03, 24 जून 2009 का अवतरण

सीता हुई भूमिगत, सखी बनी सूपन खा

बचन बिसर गए गए देर के सबेर के !

बन गया साहूकार लंकापति विभीषण

पा गए अभयदान शावक कुबेर के !

जी उठा दसकंधर, स्तब्ध हुए मुनिगण

हावी हुआ स्वर्थामरिग कंधों पर शेर के !

बुढ्भंस की लीला है, काम के रहे न राम

शबरी न याद रही, भूले स्वाद बेर के !


१९६१ में लिखी गई