भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूल गये मोबाईल / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:52, 29 जून 2014 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
      आफिस जाते जाते भालू ,
      भूल गये मोबाईल|
      मार किसी ने टक्कर उनको,
      किया सड़क पर‌ घायल|

      कैसे हाय हलो कर पाते,
      कैसे हाल बताते|
      किसी तरह वापिस‌ घर आये,
      रोते और चिल्लाते|

      अब तो रस्सी डाल ग‌ले में ,
      मोबाईल को बांधा|
      फिर न भूलेंगे मोबाईल ,
      किया सभी से वादा|