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भूल जायेगा वो भुलाएँ तो / हरि फ़ैज़ाबादी

भूल जायेगा वो भुलाएँ तो
दिल किसी और से लगाएँ तो

नफ़रतें ख़ुद पनाह माँगेंगी
प्यार के बोल गुनगुनाएँ तो

आज क्या रोज़ ही ग़ज़ल होगी
आप वो कैफ़ियत बनाएँ तो

वो भी कुछ देगा आपको पहले
उस गिरे शख़्स को उठाएँ तो

मौत को कौन टाल सकता है
डूबते को मगर बचाएँ तो

शेर हैं आपके बहुत उम्दा
फिर भी उस्ताद को दिखाएँ तो