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भूषन भूषित दूषन हीन प्रवीन / तोष

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भूषन भूषित दूषन हीन प्रवीन महारस मैं छबि छाई.
पूरी अनेक पदारथ तें जेहि में परमार्थ स्वारथ पाई.
औ उकतें मुकतै उल्ही कवि तोष अनोषभरी चतुराई.
होत सबै सुख की जनिता बनि आवति जौं बनिता कविताई.