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भैंसा सनक मनुसवा गे बहिनो / अंगिका

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भैंसा सनक मनुसवा गे बहिनो
बजर सन गात हे ।
मोंछ रानू बँहिगा, सनसन आवे हे ।
जब तूँ आहे कोसिका हमो डुबइबे
आनब हम अस्सी मन कोदारि ।
अस्सी मन कोदरिया रे रानो,
बेरासी मन बेंट
आगू-आगू धसना धाय ।।