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भोलू / रमेश तैलंग

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भोलू से पूछा मैंने-
‘स्‍कूल नहीं क्‍यों जाते ?’
भोलू बोला- ‘हम ढाबे पर
करते काम, कमाते।’
भोलू से पूछा मैंने-
‘क्‍या अनपढ़ बने रहोगे ?’
भोलू बोला- ‘अच्‍छा, पढ़ने की
तनख्‍वाह क्‍या दोगे ?’