भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मंगल आरती गोपाल की / चतुर्भुजदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मंगल आरती गोपाल की ।
नित प्रति मंगल होत निरख मुख, चितवन नयन विशाल की ॥
मंगल रूप श्याम सुंदर को, मंगल छवि भृकुटि सुभाल की ।
चतुर्भुज प्रभु सदा मंगल निधि, बानिक गिरिधर लाल की ॥