मकान बा सटल-सटल
हिया मगर बँटल-बँटल
रहल भइल इहाँ कठिन
सनेह मोल बा घटल
पहाड़ पीर हो गइल
मयार आँख ना सटल
जहर भरल हवा इहाँ
बा साँस-साँस से कटल
तमाम उम्र कट गइल
भरम ना प्रीत के हटल
मकान बा सटल-सटल
हिया मगर बँटल-बँटल
रहल भइल इहाँ कठिन
सनेह मोल बा घटल
पहाड़ पीर हो गइल
मयार आँख ना सटल
जहर भरल हवा इहाँ
बा साँस-साँस से कटल
तमाम उम्र कट गइल
भरम ना प्रीत के हटल