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मछली का गीत / रमेश रंजक

बच्चे --
बोल री मछली ! बोल री मछली ! कितना-कितना पानी ?
डुबकी लेकर हमें बता दे नदिया की दीवानी ।

मछली --
घाट-किनारे घुटनों-घुटनों बीच धार लासानी ।
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।

बच्चे --
कैसे पार करें यह नदिया, हम बालक बेचारे ?

मछली --
पानी में मत घुसना वर्ना डूब जाओगे सारे ।
ले लो नाव किसी नाविक से धारा है तूफ़ानी
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।

बच्चे --
हम थलवासी तुम जलवासी दोनों हैं मस्ताने ।
अलग-अलग दोनों की दुनिया अलग-अलग अफ़साने ।

मछली --
इसीलिए कहती, पानी से करना मत शैतानी ।
धीरे-धीरे बोल रही है पानी की पटरानी ।।