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"मजदूर का जन्म / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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जनता रही पुकारः<br>
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सुन ले री सरकार!<br>
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सुन ले री सरकार!
::कयामत ढानेवाला और हुआ !!<br>
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::कयामत ढानेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !<br><br>
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एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
( कविता संग्रह, "कहें केदार खरी खरी" से )
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11:57, 1 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
हाथी सा बलवान,
जहाजी हाथों वाला और हुआ !
सूरज-सा इन्सान,
तरेरी आँखोंवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ!
माता रही विचार,
अँधेरा हरनेवाला और हुआ !
दादा रहे निहार,
सबेरा करनेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !
जनता रही पुकार,
सलामत लानेवाला और हुआ !
सुन ले री सरकार!
कयामत ढानेवाला और हुआ !!
एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ !