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मटिया मेट भे गेलो / उमेश प्रसाद

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की कहियों भइया मटिया मेट भे गेलो,
कल के बनियाँ आज के सेठ भे गेलो ।
ढ़ोबे वाला झोला,
चलाबे लगलो गोला
बन गेल विधायक ऊ
तो फुट-फुट के रोला ।
हल्का हल सेकरो मे भारी वेट भे गेलो ।
हजारो हजार में
मिले लगलों नौकरी
चुनाव के तेयारी में
तोरा छुंछे धौकड़ी ।
बैठऽ होबे बाला के सब सेट हो गेलो ।
महँगी आकाश मे
नेता प्रकाश मे
तोहरा ले झुग्गी हो
ऊ हथ आवास मे ।
तीस रूपये लीटर करासन के रेट भे गेलो ।
चोर आउ उच्चका
पुलिस दने भागऽ हो
इनसनमे के पकड़े ले
रातों भर जागऽ हे
तो रहऽ जेल में ओकरा बेल हो गेलो ।
चपरासी के भाय हऽ
बनबऽ सरकार ।
डी. एम. आउ एस. पी. के
बेटा बेकार ।
काहे ला सोचऽ हऽ तनी लेट गेलो ।
अल्हड़ जे मंत्री हो
गोतिया नय जात के
बोट खाली बाँट लेतो,
करके गलबात के
फटा-फट मारऽ ठप्पा मनमा हेठ भे गेलो ।
हाथ मिलाबऽ जात मिटाबऽ,
मानवता के दीप जलाबऽ
मेहनत कस मजदूरी करके
अप्पन घर के खूब सजाबऽ ।
नेता आउ अफसर के बड़का पेट भे गेलो ।
दिल्ली मे समझऽ की
भे गेल जुआड जी
सूबे बिहार मे तो हरदम
सुखाड़ जी ।
काहे कि सुरसा आउ सुपरनखवा मे मेल भे गेलो ।