भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मतदान / रंजना सिंह ‘अंगवाणी बीहट’

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:36, 25 दिसम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना सिंह 'अंगवाणी बीहट' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलें-चलें मतदान करें
भारत का उत्थान करें।
जो दीन का दर्द सुनें व,
माताओं का मान करे।

ऐसा जन को मत देकर
देशभक्त को सलाम करें।
स्व मत का सदुपयोग कर,
भारत में सुधा-पान करें।

लालच देकर बहुत ठकेंगे,
इनकी बातों में क्या दम है।
चोर-उचक्के देश में घूमते,
द्रौपदी चीर हरण क्या कम है।

निज बुद्धि विवेक से ही
मतदान अपना करना।
समरसता की खुशबू से,
स्व राष्ट्र चमन को भरना।