भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मत का मूल्य / विकास पाण्डेय

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:22, 17 जून 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विकास पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोकतंत्र के मूल्यों का
अंतर्मन से सम्मान करें।
चलिए! चलकर मतदान करें।

चुनाव भारत का उत्सव है
स्वतंत्रता कि शान है यह।
जनता के हाथों की ताकत,
मतदाता का मान है यह।
आज़ादी के इस उत्सव में
हम खुशियों का गान करें।
चलिए! चलकर मतदान करें।

देशप्रेम की ज्योति हमें
सर्वदा जलाकर रखनी है।
राजनीति की पवित्रता
स्वच्छता बचा कर रखनी है।
इसबार पराजित हों अयोग्य
हम केवल इसका ध्यान करें।
चलिए! चलकर मतदान करें।

भ्रष्टाचार, आतंकवाद है,
बेरोजगार, महंगाई है।
अनंत समस्याओं की काली
बदली नभ में छाई है।
मत को बनाकर पवन प्रबल
इस बदली का अवसान करें।
चलिए! चलकर मतदान करें।

है आपका मत एक आग्नेयास्त्र,
दुर्जन का यह संहारक है।
देश समाज के हित का हेतु,
यह तीर अकाट्य है, मारक है।
ईवीएम के शरासन पर हम भी
मत के शर का संधान करें।
चलिए! चलकर मतदान करें।