Last modified on 12 सितम्बर 2023, at 19:35

मदद का भरोसा दिला करके लूटे / डी. एम. मिश्र

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:35, 12 सितम्बर 2023 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मदद का भरोसा दिला करके लूटे
गरीबों को अपना बना करके लूटे

उसी के हैं चर्चे हमारे शहर में
हसीं ख़्वाब झूठे दिखा करके लूटे

उसी को हैं मिलते सड़क, पुल के ठेके
वो फ़र्ज़ी रसीदें लगा करके लूटे

बहुत बार उसकी हुई जाँच लेकिन
हुआ क्या, कमीशन खिला करके लूटे

ग़ज़ब का मदारी मिला है वो साहिब
बड़े हाक़िमों को मिला करके लूटे

अकेले नहीं योजनाएं वो खाता
बड़े अफसरों को मिला करके लूटे

किसी को तनिक भी न लगती भनक है
वो पर्दे के पीछे से जाकर के लूटे

बड़ा बेरहम संगदिल है वो का़तिल
मगर प्यार से मुस्करा करके लूटे