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मदन मन बरखा करै विलास / अनिल कुमार झा

मदन मन बरखा करै विलास ई जीवन के पावै लेॅ
दै छै पल पल नया उजास जे यौवन के गावै लेॅ।
आय सरंग में सुरुज न उगलै
दिने भेलै अन्हार,
प्रीत हृदय में जागी उठलै
हर पल बीतै पहाड़
सच सच सब कहबै बिंदास ऊ सौतन के जराबै लेॅ,
मदन मन बरखा करै विलास ई जीवन के पावै लेॅ।
चारोॅ तरफ हरिहर देखलां
सुन्दर सगुन सुमुख,
मान मनौब्बल आबे करी लेॅ
होभेॅ कैन्हेॅ विमुख।
जीवन के मिलतै नया प्रभास से सावन के लावै लेॅ,
मदन मन बरखा करै विलास ई जीवन के पावै लेॅ।
टपटप टप टप बून झरै छै
गगन रोमांचित छै,
जरलो धरती के हर चप्पा
होलोॅ सिंचित छै।
नियम बनावै नया समास की धुन गाबै लेॅ
मदन मन बरखा करै विलास ई जीवन पावै लेॅ।